रायगढ़। शहर में तेज रफ्तार गाडिय़ों की अराजकता अब खूनी खेल में बदल चुकी है। पुलिस, प्रशासन और एंबुलेंस सेवा की लापरवाही ने एक और जिंदगी छीन ली। सवाल ये है कि आखिर कब तक सडक़ें यूं ही खून से लाल होती रहेंगी और जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में सोते रहेंगे। बीती रात जूटमिल क्षेत्र में जो हुआ, वह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का जिंदा सबूत है।
यह घटना आधी रात की है। जिला जेल के सामने एक युवक सडक़ पर तड़प रहा था, लेकिन किसी ने उसे बचाने की जहमत नहीं उठाई। चश्मदीदों के मुताबिक, एक तेज रफ्तार वाहन युवक को कुचलते हुए निकल गया। टक्कर इतनी भयावह थी कि उसका पैर शरीर से अलग हो गया। तुरंत डायल 112 को कॉल किया, लेकिन पुलिस आधे घंटे बाद पहुंची! अगर वक्त पर मदद मिलती, तो शायद यह युवक आज जिंदा होता। इतना ही नहीं, जब युवक ने दम तोड़ दिया, तो मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। एंबुलेंस कर्मियों ने साफ कह दिया कि अब शव को पुलिस ही ले जाएगी। सवाल उठता है कि क्या एंबुलेंस सिर्फ जिंदा लोगों को ही उठाने आती है? अगर सही वक्त पर इलाज मिलता, तो क्या यह मौत टल सकती थी?
स्थानीय नागरिकों का गुस्सा
यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का खौफनाक नतीजा है। ना तो सडक़ों पर स्पीड ब्रेकर हैं, ना ही पुलिस की पेट्रोलिंग होती है। जब तक कोई बड़ा अधिकारी या नेता शिकार नहीं बनेगा, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी।
अब सवाल यह है कि आखिर कब तक इस शहर की सडक़ों पर खून बहता रहेगा? कब तक प्रशासन लाशों की गिनती करता रहेगा? और सबसे बड़ा सवाल क्या इस देश में आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं?
जिला जेल के सामने तेज रफ्तार का कहर
युवक की दर्दनाक मौत-प्रशासन बना तमाशबीन
