धरमजयगढ़। जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत हाथियों की संख्या स्वाभाविक तौर पर अस्थिर बनी हुई है। ऐसे में वन मंडल क्षेत्र के छाल रेंज में एक घायल हाथी की मौजूदगी से विभागीय सक्रियता तेज हो गई है। इस घायल मकना हाथी के बेहतर उपचार के लिए उच्च स्तरीय मंथन के बाद पहले शिफ्टिंग की योजना पर विचार किया गया था। लेकिन, अब कुमकी हाथी की सहायता से इस घायल हाथी का स्थानीय स्तर पर उपचार का निर्णय वन विभाग द्वारा लिया गया है। इसके लिए एक बाड़ा तैयार किया गया है, जिसके भीतर इस घायल ‘मकना’ हाथी का इलाज किया जाएगा। इस हाथी को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग द्वारा दो कुमकी हाथी हायर किया गया है। पुष्ट जानकारी के अनुसार स्थानीय वन विभाग की टीम कुमकी हाथी को लेकर धरमजयगढ़ वन मंडल पहुंचने वाली है। जिसके बाद कुमकी हाथी के साथ चिकित्सकों की टीम इस घायल हाथी के विशेष देखरेख में जुट जाएगी। बताया जा रहा है कि इस गतिविधि के लिए छाल रेंज के बेहरामार वन परिसर में एक बाड़ा तैयार कर लिया गया है। जहां दक्ष कुमकी हाथी के सहयोग से घायल हाथी का इलाज़ कराने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। वर्तमान समय में यह घायल हाथी छाल वन परिक्षेत्र के खर्रा वन परिसर में विचरण कर रहा है। बता दें कि यह चोटिल हाथी काफ़ी समय से छाल रेंज में डटा हुआ है। अस्वस्थ होने के कारण इस हाथी का मूवमेंट धीमा हो गया है। वन विभाग द्वारा लगातार इस घायल हाथी के लिए मेडिसिन और भोजन का प्रबंधन किया जा रहा है।विदित है कि कुमकी हाथी, प्रशिक्षित एशियाई हाथी होते हैं।
कुमकी हाथी के सहयोग से घायल हाथी के उपचार की योजना बनाई गई है। इसके लिए दो कुमकी हाथी को लेकर वन विभाग की टीम धरमजयगढ़ वन मंडल पहुंचने वाली है। बेहरामार वन परिसर में एक बाड़ा तैयार किया गया है। जिसके बाद चिकित्सकों द्वारा घायल गजराज का इलाज़ किया जाएगा।
छाल रेंजर – सी वी सिदार
कुमकी हाथी की सहायता से होगा घायल गजराज का ईलाज
जंगल में बाड़ा तैयार, खर्रा इलाके में मौजूद है घायल हाथी, दो कुमकी हाथी के साथ देर रात पहुंचेगी टीम
