खरसिया। उमेश पटेल यूं ही तीसरी बार विधायक नहीं चुने गए हैं, दरअसल उन्हें इस बात का पता है कि खरसिया की आबो-हवा में क्या जरूरी है। जन भावनाओं का सत्कार करते हुए वे शनिवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में हाथों में कैंडल लिए खरसिया की सडक़ों पर नजर आए। उनके साथ उनके प्रशंसकों की अपार भीड़ के हाथों में भी मोमबत्तियां जल रही थीं।
बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं। अल्पसंख्यकों के घरों में आगजनी और लूटपाट और मंदिरों में तोडफ़ोड़ तथा अपवित्रता भी की जा रही हैं। हालांकि भारत ने बार-बार बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है, परंतु चरमपंथी बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारतवर्ष सहित छत्तीसगढ़ की राजनीति की धुरी माने जाने वाले खरसिया के हिंदुओं में बांग्लादेश के प्रति आक्रोश पनपता जा रहा है। वहीं जन-भावनाओं को लेकर पूर्व मंत्री एवं खरसिया विधायक उमेश पटेल के द्वारा नगर के हृदय स्थल अग्रसेन चौक से मौन विरोध प्रदर्शन करते हुए हाथों में कैंडल लिए बांग्लादेश के हिंदुओं के प्रति संवेदना व्यक्त की गई, जिसकी सराहना चहुं-ओर हो रही है। उमेश पटेल यूं ही खरसिया के लाडले विधायक नहीं कहे जाते, वे जनता की नब्ज़ टटोलने में माहिर हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उन्होंने बहु-संख्यकों के विचारों और भावनाओं के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला, जो पूरे छत्तीसगढ़ के लिए नज़ीर साबित हो रहा है। वहीं उनका यह कदम सभी राजनीतिक दलों की प्रशंसा बटोर रहा है।