धरमजयगढ़। यह कहानी है एक ऐसे किसान की है जिन्होंने अपने संघर्षों से अपनी अलग पहचान बनाई है। हम बात कर रहे हैं रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड के छोटे से गांव भलमुडी की जो की धरमजयगढ़ मुख्यालय से 40 किलोमीटर तथा रायगढ़ से 70 किलोमीटर दूर स्थित है। यह गांव चारों तरफ जंगलों से गिरा हुआ है जहां पर लगभग 90प्रतिशत आदिवासी किसान निवास करते हैं। यहां का लगभग 60 परिवार हैं, जिसमें से 325 के करीब जनसंख्या है। इस गांव में जंगलों से घिरे होने के कारण हमेशा जंगली जानवरों जैसे हाथी भालू जैसे जानवरों से खतरा बना रहता है। परंतु इस गांव में उतना ही जंगलों से प्राकृतिक प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है परंतु अशिक्षा होने के अभाव में अपने जीवन स्तर को आगे बढ़ाने में यहां के लोग बहुत पीछे हैं। यहां पर कुल रकबा 150 हेक्टेयर है जिसमें से मात्र 25 हेक्टेयर में सिंचाई व्यवस्था है, जिससे लोग ज्यादा खेती करने में अक्षम है।
इन परिस्थितियों के बावजूद रायगढ़ जिले के सुप्रसिद्ध समाजसेवी संस्था जनमित्रम कल्याण समिति द्वारा 2023 में लाख एवं मिलेट उत्पादन परियोजना इस ग्रामीण वनांचल एरिया में शुरू किया गया। उसी में गांव के उत्सुक किसान करम सिंह राठिया को भी चुना गया यह साधारण गरीब किसान हैं। जिनकी कार्य का भूमि है इसी से अपना जीवन यापन चल रहे थे। इनकी पत्नी और बेटी भी है, करम सिंह राठिया की उत्साह को देखते हुए उनको परियोजना से जोड़ा गया। उन्हें प्रथम बार 10 किलो बीज लाख परियोजना के द्वारा दिया गया। परियोजना के नियमानुसार वैज्ञानिक खेती के विधि से नियम का पालन करते हुए 10 किलो बीज लगाया। जब जनवरी में लाख काटा गया तब उनका उत्पादन 80 किलो प्राप्त हुआ। जिसका मूल्य? 500 किलो के हिसाब से ? 40000 होती है साथ ही उन्हें पल्सेस की खेती के लिए 10 किलो मूंगफली का बीज दिया गया था। जिसका उत्पादन 90 किलो हुआ जिसको बाजार मूल्य में 60 रुपए के हिसाब से 5400 रुपए प्राप्त हुए कुल मिलाकर प्रथम सीजन में 45400 रुपया प्राप्त हुआ। वहीं, 2024 के जुलाई में 7 किलो लाख बिहन दिया गया यह वह 60 किलो बिहन लाख रूप में हुआ। जिसका बाजार मूल्य 30000 रु होता है साथ ही उड़द 50किलो से 5000 रुपए एवम मुंगफली 90 किलो से 5400 रुपए प्राप्त किए। अभी वर्तमान में 2 किलो हाइब्रिड तिल का बीज दिया गया था जिसे आधा एकड़ में लगाए जिसका बहुत ही अच्छा उत्पादन है जिससे 190 किलो प्रात हुआ है। जिसका बाजार मूल्य के हिसाब से 19000 रुपए होता है। कुल मिलाकर करम सिंह राठिया को अभी तक नाबार्ड लाख एवं मिलेट उत्पादन परियोजना से जुडऩे से 1 लाख रुपए से अधिक राशि का अतिरिक्त लाभ हो चुका है। समिति ने कहा कि यह एक साधारण किसान है जो पिछले डेढ़ साल में 1 लाख से अधिक अतिरिक्त लाभ प्राप्त किए है तो निश्चित रूप से यह परियोजना ऐसे किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है।
किसान की आर्थिक स्थिति बदली – जनमित्रम समिति
इस प्रोजेक्ट को अपनाने से करम सिंह राठिया के जीवन में तो अप्रत्याशित रूप से परिवर्तन आया है। समिति ने बताया कि पहले यहां ही नहीं अपितु पूरे गांव और क्षेत्र में ही लाख और मिलेट का उत्पादन नहीं होता था। लाखों रुपए देने वाले कोसम का पेड़ को अपने दैनिक जीवन के उपयोग हेतु केवल लकड़ी के रूप में उपयोग करते थे और कुछ लोग तेल हेतु कोसम का बीज संग्रहण कर पेराई करते थे, साथ में भूमि बंजर पड़ा रहता था। लेकिन अब उसी भूमि में स्थानीय किसान कोदो कुटकी जैसे फसल भी ले रहे है। इस परियोजना के आ जाने के बाद पूरे गांव और क्षेत्र में कोदो, कुटकी, रागी जैसे विलुप्त फसल को भी किसान फिर से अपने दैनिक खेती में लाने हेतु तत्पर हुए हैं। यह परियोजना निश्चित रूप से करम सिंह राठिया जैसे किसानों के लिए बहुत ही अच्छा साबित हुआ है।
लाख एवं मिलेट उत्पादन से उन्नत हुआ भलमुड़ी गांव का करम सिंह
जनमित्रम समिति के सहयोग से क्षेत्र में आया बड़ा बदलाव
