भिलाईनगर। साइबर ठगी को रोकने के लिए पुलिस के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस द्वारा विगत 15 दिनों से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से हर नागरिक को साइबर ठगी से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। इस अभियान में वर्तमान समय तक पुलिस ने एक लाख अस्सी हजार साइबर प्रहरी बनाया है। जिनके माध्यम से पुलिस आम नागरिकों से लगातार जुड़ती जा रही है। और लोगों कोसाइबर ठगी से बचने हेड तो प्रेरित कर रही है।नवरात्रि के पर्व पर पुलिस ने शहर के हर दुर्गा पंडाल में उपस्थित होकर नागरिकों को साइबर ठगी से रोकने के उपायों को बताया है। और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया है। उक्ताशयकी बातें दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग ने प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि साइबर ठगी के शिकार पढ़े लिखे लोग ज्यादातर हो रहे हैं।इसका प्रमुख कारण है लालच। समाज का प्रबुद्ध वर्ग पैसा दुगना तिगुना करने के चक्कर में साइबर ठगी के शिकार होता?जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम मोबाइल में आने वाले अनचाहे काल से बचना चाहिए। और यदि कॉल रिसीव कर रहे हैं तो बात समाप्त हो जाने के बाद उस नंबर पर कॉल रिपीट करें। डॉक्टर इंजीनियर, व्यापारी सहित समाज कई लोग साइबर ठगी के निरंतर शिकार होकर लाखों करोड़ों रुपया गवां चुके हैं।छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी करने का काम राजस्थान, दिल्ली हरियाणा,झारखंड, तमिलनाडु, केरल में रहने वाला गिरोह कर रहा है।सायबर ठगी में छत्तीसगढ़ के निवासियों की संख्या शून्य के बराबर है। उन्होंने कहा कि साइबर ठगी का दूसरा कारण लोगों को भयग्रस्त करके किया जा रहा है। लोगों की आवाज को क्लोन कर वीडियो कॉल और व्हाट्सएप के मार्फत डराया धमकाया जा रहा है। इसलिए हर नागरिक को वीडियो कॉल और व्हाट्सएप ग्रुप में आने वाले अनजान नंबर से सावधान रहना चाहिए। और यदि उनकी बात हो जाती है। तो तत्काल इसकी शिकायत 1930 में करना चाहिए। जब तक नागरिक अपने साथ घट रही घटनाओं की जानकारी पुलिस को नहीं देंगे तब तक वे इसी तरह साइबर ठगी का शिकार होते रहेंगे। प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में उपस्थित रहे पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि संचार क्रांति में नई टेक्नोलॉजी सामने आ रही है। और इस नई टेक्नोलॉजी का सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों तरीके से हो रहा है। इस टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करने वालों से हर नागरिक को सावधान रहना चाहिए।इसलिए मोबाइल में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के पहले बहुत सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि साइबर ठगी को लेकर पुलिस काअभियान चल रहा है। उसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होनी चाहिए। खासकर पुलिस को प्रेस से कोई भी बात नहीं छुपानी चाहिए। प्रेस समाज का आईना है जो कि अच्छाई और बुराई दोनों को समाज के सामने रखने का कार्य करता है।विभाग की बुराइयों सामने आने से उसमें व्याप्त खामियों को हटाकर सही काम करने का अवसर पुलिस को मिलता है इसलिए अच्छाई के साथ बुराई का भी सामने आना विभागीय कामकाज के लिए अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि साइबर ठगी दो तरह से हो रही है।एक लालच के माध्यम से और दूसरा डरा धमका कर लोगों से पैसा वसूल किया जा रहा है। इस विषय पर मेरा स्पष्ट अभिमत है कि समाज का पढ़ा लिखा वर्ग लालच के चक्कर में न फंसे।और डराने धमकाने की बात पर नागरिक को भयाग्रस्त नहीं होना चाहिए। बल्कि इसकी जानकारी घर परिवार में एवं पुलिस को तत्काल देना चाहिए ताकि इस तरह की हरकतों को करने वाले लोगों पर सही समय पर लगाम लगाया जा सके।उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं में खाताधारी से खाते से संबंधित कोई भी जानकारी बैंकों के द्वारा नहीं मांगी जाती है। इसलिए यदि इस तरह की बातें सामने आती है।तो तत्काल हर नागरिक को अपने बैंक में जाकर खातों को चेक करना एवं बैंक अधिकारी कर्मचारियों से चर्चा करना चाहिए। ताकि बैंकिंग के क्षेत्र में हो रही लगातार ठगी पर अंकुश लग सके। उन्होंने कहा कि यदि मोबाइल में किसी अनजाने नंबर से बैंकिंग सेवाओं या डराने धमकाने को लेकर कोई कॉल आता है। तो तत्काल इसकी शिकायत 1930 में करें एवं आने वाले अनचाहे काल के नंबर पर तत्काल बात करें। तो मामले की हकीकत सामने आ सकती है।प्रारंभ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दुर्ग ने साइबर ठगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और साइबर ठगी से बचने के उपायों की जानकारी पत्रकारों को दी। इस दौरान डॉक्टर संकल्प राय एवं प्रशांत शुक्ला भी उपस्थित थे।