रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजस्थान सीएम गहलोत ने चि_ी लिखी है। जिसमें उन्होंने परसा कोल ब्लॉक में जमीन के आबंटन को जल्द सौंपने की मांग की है। उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला खदानों की जमीन आवंटित की है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से शेष 91.21 हेक्टेयर भूमि अब तक सौंपी नहीं गई है। जिससे राजस्थान में बिजली का संकट पैदा होने की संभावना है। उन्होंने सीएम बघेल से निवेदन किया है कि बची हुई आवंटित जमीन को सौंपने का आदेश जल्द जारी करें।
खदान बंद होने का भय सताया
दरअसल, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड अपनी बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए सरगुजा स्थित पीईकेबी खदान से कोयला खरीदता है। इसके साथ ही वो क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए भी कार्य करता है। लेकिन बीते कुछ समय से खनन के लिए अतिरिक्त जमीन मिलने में देरी और खदान के सुचारू संचालन न होने से राजस्थान सरकार को बिजली संकट का भय सताने लगा है। इसके लिए उन्होंने कई बार छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखा है। बावजूद अब तक कोई रास्ता नही निकल पाया है।
कई गांव भी है पूरी तरह निर्भर
पीईकेबी की इस कोयला खदान में आसपास के घाटबर्रा, परसा, साल्ही, जनार्दनपुर, फतेहपुर जैसे 10 गांवो के उपसरपंच और सरपंचों ने भी ज्ञापन सौंपा था। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस खदान के होने से आसपास विकास हो रहा है। अब जब यहां कोयला खनन के लिए जमीन की कमी हो गयी है तो ये ग्रामीण आंदोलन कर जिले के कलेक्टर से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को पत्र दे चुके हैं। उन्होंने इस खदान पर निर्भर लोगों के आर्थिक सुरक्षा को लेकर राहुल गांधी की भारत जोड़े यात्रा के दौरान भी उन्हें इंदौर जाकर ज्ञापन सौंपा था।
जिसमें उन्होंने कहा था कि बीते 10 सालों से परसा ईस्ट एवं कांता बासन कोयला खदान का संचालन किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय लोगों के परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। इनके क्षेत्र में खदान खोलने से पहले रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थी। लेकिन इस पीईकेबी कोयला खदान के चलते यहां के युवाओं का पलायन रुका है। यहां हजारों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं।
इसके साथ ही राजस्थान विद्युत निगम के यहां 100 बिस्तरों अस्पताल भी खोलने वाली है। इसके अलावा यहां कंपनी द्वारा अंग्रेजी माध्यम के केंद्रीय स्कूल भी चलाए जा रहे हैं जहां बच्चों को मुफ्त की शिक्षा और सुविधाएं मिलती है। लेकिन वर्तमान में कंपनी को नई जमीनें उपलब्ध नहीं होने से इस खदान से अब बड़ी मशीनें वापस भेजी जा रही है। जिससे खदान के बंद होने की संभावना है।