खरसिया। पितृमोक्षार्थ श्रीमद भागवत कथा का आयोजन नाहरीवाल परिवार खरसिया, रायपुर, नावापारा, बिर्रा द्वारा आयोजित की जा रहा है, जिसमे कथा वाचक श्री श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज श्रीधाम वृंदावन के श्रीमुख से भागवत की बयार बह रही है। यह कथा 5 सितंबर को आरंभ हुई और 11 सितंबर तक अजित सिंह नगर में चलेगी।
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में कथा व्यास पूज्य श्री श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज ने कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहते है राजा कंस ने देवकी का विवाह अपने बचपन के मित्र वसुदेव जी के साथ करवाया। देवकी कंस की लाडली बहन थी कंस ने विवाह के पश्चात देवकी और वासुदेव को खुद रथ का सारथी बनकर इनको इनके घर छोडऩे जा रहा था रास्ते में आकाशवाणी होती है रे मूर्ख कंस जीस बहन को तू विदा करने जा रहा है उसका आठवां पुत्र तेरा कल होगा कंस ने विचार किया जब बहन ही नहीं रहेगी तो भांजा कहां से आएगा कंस ने जैसे ही देवकी को मारने के लिए तलवार उठाई वासुदेव जी ने रोक दिया और कहां आपको विश्वास दिलाता हूं देवकी की आठवीं संतान मैं तुझे लाकर दूंगा कंस मान गया परंतु कंस ने वासुदेव और देवकी के एक-एक कर 6 बच्चे का वध कर दिया जब सातवां बच्चा देवकी के गर्भ में पल रहा था तो मां योगमाया की कृपा से देवकी की सातवीं संतान को वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। आठवें पुत्र की तैयारी हुई कंस ने मथुरा सहित कारागार की सुरक्षा बढ़ा दी पूरा ब्रह्मांड भगवान कृष्ण के जन्म को लेकर आतुर हो रहा था आनंदित हो रहा था देवतागण स्वागत व स्तुति करने कारागार में आने लगे है। भादो में कृष्ण पक्ष की अश्टमी तिथि दिन बुधवार रात्रि को प्रभु जन्म लेकर आये और कहां हमे गोकुल लेकर चलो गोकुल में जिस कन्या का जन्म हुआ उसे कारागार में लेकर आएंगे सभी पहरेदार सो गए कारागार के द्वार खुल गए वसुदेव जी भगवान स्वरूप बालक को लेकर गोकुल की और चल दिये। खरसिया में भागवत कथा का श्रवण करने दूर- दूर से लोग आ रहे है।