धरमजयगढ़। जिले में राजस्व मामलों में गड़बड़ी और अनियमितता को लेकर धरमजयगढ़ क्षेत्र की अनाधिकारिक रैंकिंग टॉप पर है। यहां के राजस्व प्रकरणों का इतिहास मृतकों के नाम पर जमीन बेचने, नक्शा छेडख़ानी जैसे कई अनगिनत मामलों से भरा पड़ा है। विभाग के हाल के हालात भी बहुत बेहतर नजर नहीं आ रहे हैं। बल्कि स्टेट में नए सरकार के गठन के साथ अधिकारियों को अपनी मानसिकता बदलने की कई ताकीद के बावजूद भी विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली आशाओं के विपरीत नजर आ रही है। जिसमें जिम्मेदार बेखौफ होकर अपने विधि विपरीत कारनामों को अंजाम दे रहे हैं। सरकारी कारिंदों के इस साहस के पीछे स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप से इंकार नहीं किया जा सकता है।
धरमजयगढ़ ब्लॉक में स्थित और जिले के एकमात्र जिला शिक्षा एवं बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान की जमीन से जुड़ा एक ऐसा ही मामला सामने आया है। नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत पतरापारा मोहल्ले में स्थित इस जमीन के हिस्से में सालों पहले पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा हेलीपेड बनाया गया था और यह जमीन बीटीआई के अधीन मानी जाती है। क्योंकि यह भूमि तीन तरफ़ से डाइट के सरकारी बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ है। अब राजस्व अधिकारी ने बताया कि उस भूमि की बिक्री कर दी गई है। डाइट प्राचार्य अनिल पैंकरा ने बताया कि नजूल प्लॉट नंबर 1100 डाइट के नाम पर है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसका रकबा शून्य है।
प्राचार्य ने बताया कि इस जमीन पर निजी व्यक्ति के कब्जे को लेकर स्थानीय अधिकारी को पत्र लिखा गया है और उस जमीन में संबंधित व्यक्ति को अपने निर्माण कार्य पर रोक लगाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगातार छुट्टी होने की वजह से निर्माण कार्य शुरू किया गया है। कार्यालयीन दिवस में फिर से निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की जायेगी।वहीं इस मामले में धरमजयगढ़ तहसीलदार बी के डहरिया ने फ़ोन पर बताया कि इस जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है।
डाइट प्राचार्य अनिल पैंकरा के बताए उक्त दोनो ही स्थिति में वाद भूमि पर निजी निर्माण कार्य किसी बड़ी संदिग्धता की ओर इशारा करती हैं। पहला भूमि का नक्शे में जमीन का संस्था के अधीन होना और दूसरा यह कि संबंधित भूमि के रकबे का कथित तौर पर शून्य होना। इन दोनों हालातों में जमीन की रजिस्ट्री संभव नहीं है। इसके अलावा जिस भूमि पर वर्षों पहले से सरकारी हेलीपैड बना हुआ है और जो डाइट के सरकारी बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ है, उसके एक हिस्से पर अचानक किसी निजी व्यक्ति द्वारा निर्माण कार्य शुरू किए जाने पर संस्था व स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं। इस मामले में अधिकांश लोगों का कहना है कि यदि स्थानीय ऐसे बड़े मसलों की सही जांच पड़ताल हो तो अरबों रुपए का जमीन घोटाला सामने आ सकता है। बहरहाल, देखना होगा कि इस मामले में आगे किस तरह के मोड़ सामने आते हैं।