जांजगीर-चांपा। शिवरीनारायण क्षेत्र में इन दिनों बड़ी संख्या में अवैध तरीके से ईट भट्टे संचालित कर लाल ईंट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। ईट भ_े से निकलने वाले काले धुएं से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह नहीं है। शिवरीनारायण क्षेत्र व आसपास गांवों में बड़े पैमाने पर ईंट भ_ों का कारोबार लगातार बढ़ते ही जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी के कारण इन ईंट भ_ा संचालकों के हौसले बुलंद हैं और वे नियमों के विरुद्ध बिना एनओसी के भट्टों का संचालन कर पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं।
कार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति
इन अवैध ईट भ_ा के संचालकों से मिलीभगत का कागजी कार्रवाई करने की खानापूर्ति की जा रही है। इतना ही नहीं, उत्खनन व इनके परिवहन पर भी नियंत्रण नहीं है। ओवरलोडिग पर रोक के लिए पदाधिकारियों ने नियमों को भी ताख पर रख छोड़ा है। जबकि ईट भ_ा के लिए पहले खनिज विभाग व पर्यावरण से इसकी मंजूरी लेकर ईट बनाने का कार्य किया जाना है, लेकिन इस क्षेत्र के रसूखदारों द्वारा बिना स्वीकृति लिए ही ईट भ_े का संचालन किया जा रहा है।
बिना जीएसटी बिल के लाखों का व्यापार
अवैध रूप से ईंट भ_ों का कारोबार चल रहा है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्रत्येक दो हजार ईटों को ग्यारह हजार रूपये में बेचा जा रहा है। हर वर्ष लाखों का व्यापार होता है। वह भी बिना जीएसटी बिल के, जिसके चलते केंद्र और राज्य सरकार को भारी क्षति हो रही है। क्यों की बिक्री के लिए ज्यादातर सादा पर्चियों का उपयोग होता है। भट्टा स्वामियों द्वारा जीएसटी बिल दिया ही नहीं जाता है।
मानकों की उड़ा रहे धज्जियाँ
शिवरीनारायण क्षेत्र में मानकों की धज्जियां उड़ा रहे अनगिनत ईट भ_े चल रहे हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो ही रहा है, साथ ही शासन को होने वाले आय का भी नुकसान हो रहा है। अन्य विभाग की तो बात छोडि़ए, खनन विभाग ने भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। हालांकि, कुछ स्थानों पर कागजी कार्रवाई करके अवैध वसूली कर खानापूर्ति की जा रही है। इससे ईट भ_ा संचालकों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि यह लोग बड़े पैमाने पर ईट का निर्माण कर शासकीय व निजी जमीन के खनन करने में लगे हुए हैं। शिवरीनारायण अंतर्गत कई ऐसे ईट भ_े संचालित किए जा रहे हैं जिनका मानक से दूर – दूर तक कोई वास्ता नहीं है। इसके बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो रही है।