रायगढ़। समीक्षाओं के दौर में विधानसभा के बाद कांगे्रस के राजनीतिक चातुर्थ से हार की समीक्षा तो कर ली गई मगर यह उस बैठक के नतीजे थे कि शहर के एक पोलिंग बुथ और रायगढ़ विधानसभ के कुल 22 से 23 पोलिंग बुथ में लीड आई। अब आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए एक बार फिर संगठन में बदलाव की कवायद सुनने को मिल रही है।
जिस आभामंडल में कांगे्रस संगठन ने पांच साल बिताया उससे चुनाव से पूर्व कांगे्रस संगठन जता रहा था कि संगठन के क्रियाकलापों व तत्कालिक कांगे्रस विधायक की टीम मिलकर रायगढ़ विधानसभा में एकतरफा जीत ले आयेगी, जबकि विधानसभा चुनाव के लगभग डेढ साल पहले कांगे्रस के दिल्ली मुख्यालय से हुए सर्वे में स्पष्ट कर दिया था कि वर्तमान के रायगढ़ जिले के रायगढ़ व लैलूंगा विधानसभा में कांगे्रस के तत्कालिन विधायकों के रहते बहुत बुरी हार होगी जिसको लेकर प्रत्याशी एवं संगठन के प्रमुख लोगों को बदलने की रिपोर्ट सर्वे में आयी थी। यह किसी से नही छुपा कि 2018 के चुनाव में प्रकाश नायक को कांगे्रस के प्रत्याशी बनाने में चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव व उमेश पटेल ने प्रमुख भूमिका निभाई थी ऐसी ही परिस्थिति लैलूंगा के तत्कालिन विधायक चक्रधर सिदार के साथ थी कि इन्हीं तीनों नेताओं ने उन्हें भी प्रत्याशी बनाये जाने की वकालत की थी जिससे वे 2018 में ये चुनाव तो जीते पर 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में इनका गिरगिट सा रंग दिखने लगा। राजनीतिक परिणाम के तहत लोकसभा 2019 के चुनाव की हार की समीक्षा में कांगे्रस ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा कि लोकसभा चुनाव की हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र रहा जिसमें पाया गया कि पर्दे के पीछे से डंपर पार्टी गैंग ने एकजुट होकर के उमेश पटेल की अनुशंसा पर लोकसभा प्रत्याशी बने लालजीत राठिया को हराने में प्रमुख भूमिका निभाई। इसी रिपोर्ट पर कांगे्रस के संगठन को लेकर फिर से प्रश्न चिन्ह खड़े हुए जिसको लेकर संगठन के अध्यक्षों को बदलने की प्रक्रिया प्रारंभ करने की चर्चा शुरू हुई जिसके तहत टीएस सिंहदेव व प्रकाश नायक की अनुशंसा पर अनिल शुक्ला शहर जिला कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष बने जिनके अंतर्गत कांगे्रस के दो विधानसभा क्षेत्र आते हैं। रायगढ़ विधानसभा के अंतर्गत रायगढ़ शहर के पूर्वांचल क्षेत्र, लैलूंगा विधानसभा का नया क्षेत्र जो रायगढ़ विधानसभा से परिसीमन में प्राप्त हुआ।
अब संगठन की गतिविधियां अध्यक्ष के क्रियाकलापों से होती है जिसके अंतर्गत रोज के रोज नगर निगम के समाचार पत्रों में यह छप रहे विवादों से रायगढ़ शहर के नागरिकों के मध्य कांगे्रस को तो नुकसान हुआ। साथ ही साथ इसका असर रायगढ़ विधानसभा के पूर्वांचल और लैलूंगा के नये क्षेत्र पर पड़ा। इन क्षेत्रों में कांगे्रस की भीषण हार किसी से छिपी नही है जो कि लगभग 50 हजार वोटों के करीब हैं इनमें रायगढ़ शहर 35 हजार, पूर्वांचल क्षेत्र से 8 हजार व 7 हजार लगभग लैलूंगा विधानसभा का परिसीमन क्षेत्र शामिल है।
अब 2023 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़ विधानसभा का प्रत्याशी कांगे्रस से निर्धारित करने के लिये अनिल शुक्ला की टीम ने बड़ी चातुरिता से प्रकाश नायक को तो प्रत्याशी बनाने के लिये भूपेश बघेल व टीएस बाबा व उमेश पटेल को राजी तो कर लिया मगर चुनाव नही जीता पाये और यहां कांगे्रस की शर्मनाक हार हुई। इस बार फिर से बात उठी संगठन के मुखियाओं को बदलने की,पर चतुर सुजान की तरह आनन-फानन में अनिल शुक्ला की टीम ने रायगढ़ विधानसभा में हुई हार को लेकर कांगे्रस भवन में समीक्षा करवाने की कार्रवाई पर इस समीक्षा के दरम्यान कांग्रेस भवन में हुए विवादों और विडियो को लेकर समाचार पत्रों में छपने के लिये स्वयं कुछ कांगे्रसियों ने वायरल कर दिया।
बहरहाल अगले महीने लोकसभा चुनाव होनें को है जिसे संगठन की मजबूती के अनुसार लड़ा जाता है और इस वक्त कांगे्रसियों की मनोदशा यह है कि कांगे्रस संगठन के मुखियाओं को यदि नही बदला गया तो फिर से हार के आंकड़े जो विधानसभा में आये ये उससे भी खराब हो सकते है। वर्तमान में शहर जिला कांगे्रस अध्यक्ष बनने की फेहरिस्त में संतोष राय, प्रदीप गर्ग, जेठूराम मनहर व जयंत ठेठवार का नाम शामिल है। इनमें से किसी के भी नाम पर कभी भी मुहर लग सकती है। मगर रायगढ़ लोकसभा कांगे्रस कैसे जीतेगी इसका चक्रव्यूह कैसा बनाया जायेगा इस पर अभी स्टोरी बाकी है।
कहीं देर न हो जाये…!
लोकसभा चुनाव सिर पर, कांगे्रस संगठन में बदलाव की कवायद
